...

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कभी कभी इंसानी लिबाज़ में वो फरिश्ते जैसा होता है...!!
अक्सर नींदें उड़ाकर , मेरे ख्यालों में आकर वो जो चुपके से भाग जाता है ... !!
हाँ मेरे साथ भी वो बिलकुल मेरे जैसा है ।

दूर होकर भी वो पास वाला एहसास कराता है जो रूठ जाऊँ तो बड़े प्यार से मनाता है ... !!
वो मौसमी बारिश की वो पहली बूँद जैसा है ।

हाँ वो ना गुस्से में कुछ भी कह जाता है , जो मुँह बनाऊँ तो सीने से लगा गज़ब का सुकून दे जाता है ... !!
सच कहूँ वो ना सूरज की पहली किरण के जैसा है।

कभी अचानक माथा चूमकर तो कभी तकिया छुपाकर सिरहाने बैठ सिर सहलाकर प्यार जताता है ... !!
वो ना नदिया के पवित्र पानी जैसा है ।

गिरे जो कभी आंचल तो वो अपनी नजरें झुका ले , जो कोई बुरी नज़रों से देखे उसकी मोहब्बत को वो उसको आईना दिखा जाता है .. !!
सच कहूँ वो इंसानी लिबाज़ में किसी फ़रिश्ते जैसा है।

मैं तो तुम्हारा ही हूँ , मैं कहाँ...