...

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मुलाकात
उनसे अभी मिलना शायद मुकद्दर में नहीं, पर एक दफ़ा मुलाक़ात हो जाए ये ख़्वाहिश है हमारी
यूँ तो ख़्वाबों‐ख़्यालों में मिल लिया करते हैं हम, पर उन्हें नज़रों के सामने देखना ये आरज़ू है हमारी

बरसों से तड़प है...