...

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मां
आंचल में छुपा कर के अपने
ममता के स्नेह से नहलाती है
वह प्यारी मां सुंदर सृष्टि का
अनुपम उपहार कहलाती है।

सहनशीलता, करुणा ,दया की
साकार,सजीव मूर्त कहाती है
जिंदगी रूपी मुखौटे के पीछे
हज़ारों दर्द संभालती जाती है।

चेहरे पर नित मुस्कान बिखरा
असंख्य बाधाओं से टकराती है
हां वही अपने सुंदर ममतामयी
रूप से मकान को घर बनाती है।

सादगी ,सरलता, सहजता धरकर
सामंजस्यता हर दिल में बिठाती है
बच्चों की अमूल्य खुशी के वास्ते
जो शक्ति स्वरूपा तक बन जाती है।

धरती सा धैर्य,आकाश सी गहराई
जिसमें कूट-कूट कर समाती है
शुभ संस्कारों की सुंदर पोटली
सदैव बच्चों में भरती ही जाती है।

संग रहती सर्वदा परिवार के
निज धर्म निभाती जाती है
मर्यादा की परिपाटी पर चल
मां सुंदर जीवन जीना सिखाती है।

© joo