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अक्सर मै कुछ कहने से डरती हुं
अक्सर मैं कुछ कहने से डरती हुं..
मेरी बातों को नज़र अंदाज़ कर दिया गया तो..
मेरे जज्बात की भाषा फ़ीकी पड़ जायेगी.!
मेरे एहसास की रंगत कहीं खो जायेगी..!
इसलिए मै खामोश रहती हुं.
अक्सर मैं कुछ कहने से डरती हुं..!!
मेरी बातों को नज़र अंदाज़ कर दिया गया तो..
मेरे जज्बात की भाषा फ़ीकी पड़ जायेगी.!
मेरे एहसास की रंगत कहीं खो जायेगी..!
इसलिए मै खामोश रहती हुं.
अक्सर मैं कुछ कहने से डरती हुं..!!
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