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खाली हॉल
#खालीअक्स
यही मंच है जो खचाखच भरा था
भरे लोग इतने,अटा सा पड़ा था।
इसी मंच पर कवि अनेकों थे आए
कई शायरी की,कई गीत गाए।
थे कुछ ओज के कवि कोई प्रेम गाए
थे एक हास्य कवि जिनने सबको हँसाए।
मचे तब ठहाके,बजी खूब ताली
कोई एक भी थी नहीं कुर्सी खाली।
मगर देखिये जहाँ बजती थी ताली
वही मंच और हॉल है आज खाली।
© Kaushal