...

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सोचा ना था....
सोचा न था कभी, हमें यु लाचार होना पडेगा
हमें जिने के लिये अपने ही घर में कैद होणा पडेगा

जानवरो को खुला और इन्सानो को पिंजरे में रहना पडेगा
सोचा न था कभी हमें यु लाचार होणा पडेगा
जिने के लिये अपने ही घर में कैद होणा पडेगा

दौडते थे हमेशा पद-प्रतिष्ठा पैसो के लिये
हमे यु रुक जाना पडेगा, जिंदगी बचाने के लिये एक छोटा सा विषाणू, दुनिया पर हावी होगा
सोचा न था.....

वैसे तो हर युद्ध लडा जाता है, मैदान में उतरकार
मगर लढणे के लिये ऐसे भागना पडेगा
हम सब को तयार करते है इम्तिहान के लिये
मगर आज हमें ये जिंदगी का इम्तिहान देना होगा
सोचा न था........

इक्कीस वी सदी मे आज, इन्सान आसमान छू रहा है
मगर इस कोरोना ने उसका, उडना तो दूर, चलना भी बंद किया है
आज फिर साबित हुआ हमें प्रकृती के आगे झुकणा पडेगा
सोचा न था.......
© Prachi