माहौल
#माहौल
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
किसी को 'आप' से 'तुम' बनने की आस हैं तो कहीं 'तू' में 'आप' की तलाश हैं|
तन्हाई में कोई अपना-सा संग चाहिए तो किसी को दुनिया की भीड़...
यहां जिसे अपने ही लिए दो पल मिल जाए वही मानो बलवीर|
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
अन्न का कण, स्वर्ण लक्ष्मी सा नाता,
बात मन से ही सही, जो बुद्धि लगाएं अन्न ना भाए, चंचल...
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
किसी को 'आप' से 'तुम' बनने की आस हैं तो कहीं 'तू' में 'आप' की तलाश हैं|
तन्हाई में कोई अपना-सा संग चाहिए तो किसी को दुनिया की भीड़...
यहां जिसे अपने ही लिए दो पल मिल जाए वही मानो बलवीर|
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
अन्न का कण, स्वर्ण लक्ष्मी सा नाता,
बात मन से ही सही, जो बुद्धि लगाएं अन्न ना भाए, चंचल...