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माहौल
#माहौल
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
किसी को 'आप' से 'तुम' बनने की आस हैं तो कहीं 'तू' में 'आप' की तलाश हैं|
तन्हाई में कोई अपना-सा संग चाहिए तो किसी को दुनिया की भीड़...
यहां जिसे अपने ही लिए दो पल मिल जाए वही मानो बलवीर|
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
अन्न का कण, स्वर्ण लक्ष्मी सा नाता,
बात मन से ही सही, जो बुद्धि लगाएं अन्न ना भाए, चंचल लक्ष्मी संभल में ना आए, बुद्धि संग कनक धतुरा बन जाए|
कहीं कोई प्रेम में रिश्ते निभाऐ, कुछ नाते बिना प्रितम सूने रह जाऐ|
पहचानो तो सम्मान नज़रों में ही मिल जाऐ, व्यवहार में ये सफर 'तू' से 'आप' में अकसर भटक जाए|
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
अच्छे माहौल की सीख श्री कृष्ण नुमा माता पिता सदा से ही देते चले आये...
पनवारी की संगत से व्यापारी का ज्ञान तू कहा से पाऐ?
कब तक दुष्ट संगती में संस्कार स्थिरता अपनायें?
अपनी-अपनी समझ की बात हैं वरना पल भर में ही याद बन जाए|
बदलता माहौल सबको आज़माऐ, दुनिया की भीड़ में अपनो से मिलवाए|
© Kanika
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
किसी को 'आप' से 'तुम' बनने की आस हैं तो कहीं 'तू' में 'आप' की तलाश हैं|
तन्हाई में कोई अपना-सा संग चाहिए तो किसी को दुनिया की भीड़...
यहां जिसे अपने ही लिए दो पल मिल जाए वही मानो बलवीर|
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
अन्न का कण, स्वर्ण लक्ष्मी सा नाता,
बात मन से ही सही, जो बुद्धि लगाएं अन्न ना भाए, चंचल लक्ष्मी संभल में ना आए, बुद्धि संग कनक धतुरा बन जाए|
कहीं कोई प्रेम में रिश्ते निभाऐ, कुछ नाते बिना प्रितम सूने रह जाऐ|
पहचानो तो सम्मान नज़रों में ही मिल जाऐ, व्यवहार में ये सफर 'तू' से 'आप' में अकसर भटक जाए|
पल भर की याद हैं, समझ-समझ की बात हैं|
अच्छे माहौल की सीख श्री कृष्ण नुमा माता पिता सदा से ही देते चले आये...
पनवारी की संगत से व्यापारी का ज्ञान तू कहा से पाऐ?
कब तक दुष्ट संगती में संस्कार स्थिरता अपनायें?
अपनी-अपनी समझ की बात हैं वरना पल भर में ही याद बन जाए|
बदलता माहौल सबको आज़माऐ, दुनिया की भीड़ में अपनो से मिलवाए|
© Kanika
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