नज़र आते हैं
हक़ीक़त हैं या नज़र का धोखा हैं,मुझे कई अपनों में दोगले किरदार नज़र आते हैं,
हैं हरकतें तो इंसानों जैसी,ना जाने क्यों साहब को ख़ुद में अवतार नज़र आते हैं,
क्या दौर हैं क्या समझ हैं,उजड़े हुए मंज़र भी लोगों को खिली बहार...
हैं हरकतें तो इंसानों जैसी,ना जाने क्यों साहब को ख़ुद में अवतार नज़र आते हैं,
क्या दौर हैं क्या समझ हैं,उजड़े हुए मंज़र भी लोगों को खिली बहार...