...

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आखिरी छोर
कल कल नदी का संगीत सुनकर
तुम मेरे जीवन का संगीत बन कर
मेरी उदास जिंदगी में संगीत रस भर दो

खेवन हार बन पार लगा दो
मेरे जीवन की नदी के
मझधार में भटकी नैया को

हम साथ साथ निभा लेंगे
नदी के किनारों के जैसा साथ
जीवन के आखिरी छोर तक

चलो हम चलें पहाड़ के उस
हिमनद के पास
जहां से शुरू करें जीवन की नदी
साथ साथ बहकर मिटा दें
अपना वजूद समुद्र की गोद में

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