रूहदारी
जिस्म अजनबी है और रूह जुड़ी सी लगती है
तेरी रूहदारी मुझे ख्वाब सी लगती है
दूर हो के भी तुझसे दूरी नहीं कोई
तु गीता...
तेरी रूहदारी मुझे ख्वाब सी लगती है
दूर हो के भी तुझसे दूरी नहीं कोई
तु गीता...