प्रेम का शाश्वत स्वरूप
सुनो....!
जब कभी भी मैं लिखती हूंँ प्रेम
तो आप ही होते हो
प्रेम का साक्षात रूप...!
प्रेम का विशुद्ध,शाश्वत स्वरूप..!
आप निराकार निर्गुण हो,
सृष्टि में सर्वथा समर्थ हो!!
कुंदन सा समर्पित प्रेम..!
आपसे बढ़कर कौन जानेगा उसे....?
पत्नी के...
जब कभी भी मैं लिखती हूंँ प्रेम
तो आप ही होते हो
प्रेम का साक्षात रूप...!
प्रेम का विशुद्ध,शाश्वत स्वरूप..!
आप निराकार निर्गुण हो,
सृष्टि में सर्वथा समर्थ हो!!
कुंदन सा समर्पित प्रेम..!
आपसे बढ़कर कौन जानेगा उसे....?
पत्नी के...