...

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ज़िन्दगी और मै
चल आ ज़िन्दगी कुछ लम्हे तेरे साथ बिताते है
दौड़ कर थक गयी होंगी तू
चल थोड़ा आराम फरमाते है
सारे दिन की तकलीफो को मिलकर हम सुलाते है
तकिये के निचेरख दे तू सारी उन उमीदो को
चल आज सुलादे उन सपनो को जो
रोज तुम्हे जागते है
चल छोड़ दे चिंता इस जीवन की मस्तमलंग
सा बहने दे पागल होकर जिले आज
जिसको जो कहना है सो कहने दे
बहुत हुवा अब दिल मे रोना अब नेनो को भी बहने दे
बहुत बदल चुके दुनिया के लिए
कुछ तो हम मे हम सा रहने दे ......


© vrinda Nagar