...

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उलझी सी रात...


उलझी उलझी रात थी तेरे ख्यालों में,
चाँद भी मुस्कुरा रहा था तेरे उजालों में।

तेरी यादों की महक ने रात को रंगीन कर दिया,
सपनों की रूहानी दुनियाँ को भी यकीन कर दिया।

तारों की छाँव में बस तेरा ही नाम था,
दिल की हर धड़कन में तेरा ही पैगाम था।

सर्द हवाओं ने भी तुझसे बातें कर डालीं,
खामोशियों की चादर में रात की गोद खाली।

हर पल हर लम्हा तेरा एहसास जगाता,
तेरे बिना ये रात भी अधूरी सी लगती।

तेरी आवाज़ की मिठास में बसी थी एक कहानी,
तेरे साथ बिताए पलों की वो प्यारी निशानी।

चाँदनी रात की गोद में हम भी खो गए थे,
तेरी हँसी की गूँज में, सारे ग़म सो गए थे।

उलझी उलझी रात में तुझसे मिलने का ख्वाब था,
तेरे ख्यालों में ही सही, पर दिल को सुकून बेहिसाब था.. .!!!

© dil ki kalam se.. "paalu"