एक युद्ध अपनो के विरुद्ध।।
मैं लड़ पड़ी हु अब अपने विरुद्ध
हुए जाने वाले युद्धों से,,
मेरा शायद रब के सिवा कोई नही
इसलिए बोल पड़ी हु हर कड़वे बोल
कुछ खफा है मुझ से कुछ रूठ गए है
कुछ अब मुझे छोड़ गए है,,
पर अब परवाह नही मुझे अपनो की
परायों की,,
मैं अब खुद में ही खुद की जीत के
लिए चल पड़ी हु,,
हु जहर सी किसी के लिए हु खड़बी
जुबान किसी के लिए पर अब मैं
ना किसी से डरी हु,,
खुद की जीत के लिए अब सब से लड़
पड़ी हु अगर हु अब तन्हा अपनो...
हुए जाने वाले युद्धों से,,
मेरा शायद रब के सिवा कोई नही
इसलिए बोल पड़ी हु हर कड़वे बोल
कुछ खफा है मुझ से कुछ रूठ गए है
कुछ अब मुझे छोड़ गए है,,
पर अब परवाह नही मुझे अपनो की
परायों की,,
मैं अब खुद में ही खुद की जीत के
लिए चल पड़ी हु,,
हु जहर सी किसी के लिए हु खड़बी
जुबान किसी के लिए पर अब मैं
ना किसी से डरी हु,,
खुद की जीत के लिए अब सब से लड़
पड़ी हु अगर हु अब तन्हा अपनो...