...

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परदे में है अगर.
परदे मे है अगर वो तो हया है वो
साथ अगर हो अपनों के तो वफ़ा है वो

औरत जहाँ है वहाँ हर दहलीज है
औरत खुद यहाँ औरत की कनीज है

गर बात हक़ की करे तो वो बदनाम है
हरेक की सुनना उसका काम है

गर किसी की इज्जत ना करे तो वो हीन है
गर सबसे हँस के बात करें तो चरित्र हीन है

क्यूँ दोयम दर्जा है आज इस भारत मे
चित्रों मे देवी है कहने को हर कारज मे

देवी नहीं मगर उसको इंसान तो बनने दो
कुछ तो अपनी मर्जी का उसको भी चुनने दो.

© Rashmi Garg