...

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आसमान में...
समंदर किनारे मैं तकता हूं आसमान में।
जैसे कहीं से, तुम देख रही हो आसमान में।

बातें करता हूं तुमसे समंदर किनारे मैं,
सोचता हूं हम है तो एक ही जहान में।

हंसता हूं एक टिमटिमाता तारा देखकर,
जैसे मुस्कुरा रही हो तुम...