शुक्र मना भगवान का
शुक्र मना भगवान का
जो शरीर दिया इंसान का
उनको भी देख जो क्या कुछ कर गए
जिनका कोई अंग नहीं काम का
वो भी लोग हैं जो देख नहीं सकते
उनके लिए अंधेरा ही कयामत है
तो फिर भी कुछ नहीं देख रहा
तेरी दोनों आंखें तो सही सलामत है
नजरिया बदल तू देखने का
नया मोड़ दिखेगा जहान का
शुक्र मना भगवान का
जो शरीर दिया इंसान का
उनको भी देख जो क्या कुछ कर गए
जिनका कोई अंग नहीं काम का
वो भी लोग हैं हाथ नहीं जिनके
फिर भी चित्रकार हैं
तेरे दोनों हाथ हैं
तू फिर भी मांग रहा
तू मेरी समझ से...
जो शरीर दिया इंसान का
उनको भी देख जो क्या कुछ कर गए
जिनका कोई अंग नहीं काम का
वो भी लोग हैं जो देख नहीं सकते
उनके लिए अंधेरा ही कयामत है
तो फिर भी कुछ नहीं देख रहा
तेरी दोनों आंखें तो सही सलामत है
नजरिया बदल तू देखने का
नया मोड़ दिखेगा जहान का
शुक्र मना भगवान का
जो शरीर दिया इंसान का
उनको भी देख जो क्या कुछ कर गए
जिनका कोई अंग नहीं काम का
वो भी लोग हैं हाथ नहीं जिनके
फिर भी चित्रकार हैं
तेरे दोनों हाथ हैं
तू फिर भी मांग रहा
तू मेरी समझ से...