स्पीड
जैसे बच्चा घर में बड़ा है होता,
गाड़ी चलाने की उसमें चाह पनपती है,
पिता के मन में भी उसकी पसंद की,
बाइक देने की चाह जगने लगती है।
फिर एक दिन आ जाता है जब,
पिता उसे अचंभित कर देते हैं,
उसकी पसंदीदा हौंडा की बाइक,
की चाबी उसके हाथों पर रख देते हैं।
क्या जरूरत इस बाइक की अभी,
इंजीनियरिंग अभी इसे करवाना है,
इतने पैसे क्यों खर्च दिए माँ पूछती,
बेटी की शादी भी तो करवाना है।
पिता आँख मार इशारा करता,
चुप रहो है ये खुशी का मौका,
बहन खुशी से फूली नहीं समाती,
भाई को मिला जो बाइक का तोहफा।
बेटा खुशी से फुला नहीं सामाता,
बस बाइक देख पिता को गले लगाता है।
बेटा! ध्यान से संभाल कर चलाना,
पिता बच्चे को इतना ही समझाता है।
फिर कॉलेज जाना हो या दूध लाने,...
गाड़ी चलाने की उसमें चाह पनपती है,
पिता के मन में भी उसकी पसंद की,
बाइक देने की चाह जगने लगती है।
फिर एक दिन आ जाता है जब,
पिता उसे अचंभित कर देते हैं,
उसकी पसंदीदा हौंडा की बाइक,
की चाबी उसके हाथों पर रख देते हैं।
क्या जरूरत इस बाइक की अभी,
इंजीनियरिंग अभी इसे करवाना है,
इतने पैसे क्यों खर्च दिए माँ पूछती,
बेटी की शादी भी तो करवाना है।
पिता आँख मार इशारा करता,
चुप रहो है ये खुशी का मौका,
बहन खुशी से फूली नहीं समाती,
भाई को मिला जो बाइक का तोहफा।
बेटा खुशी से फुला नहीं सामाता,
बस बाइक देख पिता को गले लगाता है।
बेटा! ध्यान से संभाल कर चलाना,
पिता बच्चे को इतना ही समझाता है।
फिर कॉलेज जाना हो या दूध लाने,...