मायूसी
#shadow #shadowpoem
एक उदासी दिल पर छाने लगी
एक मायूसी दिल को खाने लगी
बहती बहती ये हवाएं भी
अब अपने आप में शोले बरसाने लगी
अब भी करते है तेरा जिक्र
सोच कर की क्यो है फिकर
आज भी खुदा से है इसका शुक्र
की अब भी हस्ते है सब कुछ खो कर
चांद सा भी चमकता ये वो मायूस चेहरा है
अंधेरों से भी घना एक राज़ ये गहरा है
सोच कर डरता हूं की सब कुछ खो जायेगा
पाया है जो मुद्दातो से वो सब कुछ बिखर जायेगा
लगता है डर की रुक जाऊंगा
अपने आप से ही थक जाऊंगा
हिम्मत न हार जाऊ ए खुदा इतनी ताकत दे
चलता रहूं बस इतनी सी इबादत दे
© shadow
एक उदासी दिल पर छाने लगी
एक मायूसी दिल को खाने लगी
बहती बहती ये हवाएं भी
अब अपने आप में शोले बरसाने लगी
अब भी करते है तेरा जिक्र
सोच कर की क्यो है फिकर
आज भी खुदा से है इसका शुक्र
की अब भी हस्ते है सब कुछ खो कर
चांद सा भी चमकता ये वो मायूस चेहरा है
अंधेरों से भी घना एक राज़ ये गहरा है
सोच कर डरता हूं की सब कुछ खो जायेगा
पाया है जो मुद्दातो से वो सब कुछ बिखर जायेगा
लगता है डर की रुक जाऊंगा
अपने आप से ही थक जाऊंगा
हिम्मत न हार जाऊ ए खुदा इतनी ताकत दे
चलता रहूं बस इतनी सी इबादत दे
© shadow