जिन्दगी का तमाशा
*जिन्दगी का तमाशा*
देखो कोई महलों का सुख भोगता,
तो कोई रोटी के लिए तरसता।
कई पढ़े-लिखे को नौकरी नहीं मिलता,
कई अनपढ़ कम्पनी के मालिक।
किसी को नींद नहीं आती,
तो किसी को निद्रा नहीं...
देखो कोई महलों का सुख भोगता,
तो कोई रोटी के लिए तरसता।
कई पढ़े-लिखे को नौकरी नहीं मिलता,
कई अनपढ़ कम्पनी के मालिक।
किसी को नींद नहीं आती,
तो किसी को निद्रा नहीं...