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#जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवाओं का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
तिनका-तिनका जोड़कर

फैसले कुछ भी रहे
मन बना, बस चलते रहे
ज़िंदगी के जद्दोजहद में
ख़ुद से ही लड़ते रहे

राह में सब मिलते चले
तार से तार जुड़ते चले
अड़चनों को पीछे छोड़कर
रुख़ हवाओं का मोड़कर

गिले-शिक़वो को सुनते चले
हर बला से लड़ते चले
सबको लगाया गले अपने
सबसे गले मिलते चले

नफ़रतों को छोड़कर
दिल से दिल जोड़कर
चल पड़े राह अपनी
रुख़ हवाओं का मोड़कर!

मीना गोपाल त्रिपाठी
14 / 11 / 2022
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