...

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राधे
बरस ही पढुंगी गर और छेड़ोगे मोहन
मेरी मार से घर बाहर दौड़ते फिरोगे मोहन
न अक्ल क्या इतनी मटकी नई लाई थी मैय्या मोरी
भीगी मैं सारी क्या कहूं समझ है तुम्हारी
कह दुंगी मैय्या यशोदा...