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#छायाओंकीकथाएं
#छायाओंकीकथाएँ

बिते अतीत का बित गया जमाना,
अक्सर कूहरे सा धुंधलका हांफता.
गरिमामयी वो आकृतियाँ,
आज अस्पष्ट सी दिखाई देती.
जैसे अन्धकार में प्रतिछाया,
मस्तिष्क में कहीं कोने में छूपी.
कमजोर ,बहुत कमजोर सी स्मृतियाँ,
अब शायद ही कौंधती मन को विचलित करती.
दिमाग की कमजोर नसों सी,
ह्रदय की मंद पड चुकी गति सी स्पंदित.
आकुलता का कहीं नाम ओ निशाना नहीं,
इन्तजार...