ख्वाहिशे डसती हुई ही मिली...!!
मैंने जब भी "खुशिया चाही
कमबख्त तब तब" जहर की
एक कप प्याली मिली है..!!!
अंधेरी को भी "पार कर लिया मैंने..
पर""रोशनी के बदले कमबख्त "आग ही मिली है...!!!
फूल भी" मिले तो मीले ""चुभन के साथ...
मैंने "जीना चाहा पर कमबख्त "मौत ही मिली है...!!!
आहे.."सिसकियां..."नासूर से लथपथ "जख्म "रहनुमा मेरे..
मैंने ""राहत माँगी कमबख्त "तड़प ही मिली हैं...!!!
किसी ने "हक जताया नही कोई "खोने से डरा ही नही
मैंने मांगी थी "कद्र कमबख्त "शिकायते ही मिली है...!!!
अब टूटे हुए तारे भी कभी कुछ नही देते मुझे
मेरे साफ "दिल को कमबख्त हमेशा "मिलावट मिली हैं..!!!
लोग कहँते रहते बड़े "जिंदादिल "खुशमिजाज हैं "हम
अब उन्हें क्या बताए ये जिंदादिली भी कमबख्त
""जीते जी मरने के बाद मिली है...!!!
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© A.subhash
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