...

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ख्वाहिशे डसती हुई ही मिली...!!

मैंने जब भी "खुशिया चाही
कमबख्त तब तब" जहर की
एक कप प्याली मिली है..!!!

अंधेरी को भी "पार कर लिया मैंने..
पर""रोशनी के बदले कमबख्त "आग ही मिली है...!!!

फूल भी" मिले तो मीले ""चुभन के साथ...
मैंने "जीना चाहा पर कमबख्त "मौत ही मिली है...!!!

आहे.."सिसकियां..."नासूर से लथपथ "जख्म...