तुम्हारे नाम....
कि,दिल का वो परिंदा भी आजाद कर दूं
दबी उन बातों को तुम्हारे नाम कर दू
कभी सपनों का महल नहीं बनाया,बनाया था मिट्टी का घर
कहो तो घर...
दबी उन बातों को तुम्हारे नाम कर दू
कभी सपनों का महल नहीं बनाया,बनाया था मिट्टी का घर
कहो तो घर...