...

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सदाएं
निकले हैं हम घर से दूर
मंज़िल की तलाश मे
हौसलों का हाथ थामकर
बुलंदियों की तलाश मे
ज़मीन का थोड़ा सा हिस्सा
कदमों के नीचे हमारे
बाँह पसारे आसमान
दे रहा मुझको सदाएं
फहरा दो सफलता का परचम
नीले आकाश मे
© मधुशिल्पी