...

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असल में तुम नहीं हो मेरे..
क्यों ख़ुदा ने दी लकीरें जिसमें जाहिर नाम नहीं तेरा..
लिख रही हूं दर्द सारा यूं तो शायर हूं नहीं मेरा
इतना भी क्या बेवफ़ा कोई होता हैं, सोच कर ये दिल मेरा रात भर रोता है
असल में तुम नहीं हो...