...

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दोस्ती का सफर
सोचा न था कि दोस्ती
के सफर में कभी
ऐसा भी मोड़ आएगा।।

कहा करते थे जो कभी,
की साथ निभायेंगे उम्रभर।
चाहे मुश्किल भरा हो रास्ता,
या खुशियों का हो डगर ।
वो जरा सी बात पर यूं
हाथ मेरा छोड़ जाएगा।।

तमिजदार कभी जिनके लिए,
हमारा हुआ करता था हर सलीका।
बद्तमिजिया बन गया है उनके लिए,
अब हमारा वो हर तरीका।।

जिनका हर अंदाज़ हुआ करता था,
मेरे सुकून का एक जरिया।
उनकी निगाहों में हो के रह गया,
अब मेरा हरएक सोच घटिया।।

क्या जाने ये क्या हो गया,
बदले हम या उनका
नजरिया बदल गया।।

समेटा था जिस रिश्ते
की खूबसूरत लम्हों को,
अनमोल खजाने की तरह।।

क्या खबर थी कि वही
रिश्ता दूर हो जाएगा
हमसे एक बेगाने की तरह।।

सुना तो था अक्सर की दर्द,
बस इश्क के ही नाम होता है।
क्या पता था दोस्ती का भी
यही अंजाम होता है।।

क्या करके किसी से सच्ची दोस्ती
हमने कोई गुनाह कर दिया।
अगर है हम सच में गुनहगार तो ,
यकीनन सबसे ज्यादा
खुद को ही तबाह कर लिया।।

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