...

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एकांत
यूँही अकेले में खुद से बात होने दो
बातो बातो में खुद की पहचान होने दो
धीरे धीरे हि सही खुद से प्यार होने दो
खुद के जीवन में खुद की ही किमत होने दो

अकेले आना अकेले जाना
खुद को हि खुद से है पाना
बाकी सब का मिलना है सपना
सपना आखिर है तो अपना

काम करों सब सबसे मिलकर
सबसे जुडकर दीलसे हसकर
सबके बीच में प्यार से रहकर
सबसे थोडी दूरी बनाए रखकर

एकांत में जब हो ईश्वर स्मरण
या फिर मिल जाए ईश्वर श्रवण
आखिर में हो बस ईश्वर शरण
कुछ पल भी हो बस भाव समर्पण
© hitesh kanubhai shukla