...

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योगदान जिंदगी का
चल पड़ी है जिंदगी जिंदगी की खोज में
क्या पता जिंदगी जीने के लिए जिंदगी कब तक हो
स्वयं ही चलना पड़ेगा बंदे तुझको , काया में तेरे प्राण जब तक हो

कल तो कभी आया ही नहीं किसी का
क्या पता आज भी हमारा आज हो न हो

तो क्यों न ऐसी मधुर छाप छोड़ते चले इस जिंदगी के सफर में
तुमको याद किया जाए उस आने वाले कल में भी ,
फिर भले ही तुम्हारे सर पर अतीत का ताज हो न हो

पहचानो खुद को कि क्यों आए हो इस संसार में तुम
भाग्य ऐसा बना दो इस संसार का ऐसा कि कुछ तुम अपने भी जीवन का योगदान देकर
कल तो किसी ने देखा नही तो क्या भरोसा आज भी सांझ हो न हो

© अतुल✍️