...

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जैसे हरे पेड़ों को छू कर पतझड़ गई है !!
जिंदगी ने जिंदगी में रवानी की है
एक उसने ही खराब मेरी जवानी की है
पलकों से आंसू नहीं बहे मेरे
मेरी आंखें बहीं हैं
खुद ही खुद को खो चुका हूं ...