...

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जैसे हरे पेड़ों को छू कर पतझड़ गई है !!
जिंदगी ने जिंदगी में रवानी की है
एक उसने ही खराब मेरी जवानी की है
पलकों से आंसू नहीं बहे मेरे
मेरी आंखें बहीं हैं
खुद ही खुद को खो चुका हूं
क्या करूंगा अब खुदका
जिसमें बस वो ही बस रही है
घर मेरा एकदम खाली पड़ा है
जबसे वो छोड़कर गई है
उसने इतना सूना किया है मुझको
जैसे हरे पेड़ों को छू कर पतझड़ गई है।।
© Aryman Dwivedi

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