जैसे हरे पेड़ों को छू कर पतझड़ गई है !!
जिंदगी ने जिंदगी में रवानी की है
एक उसने ही खराब मेरी जवानी की है
पलकों से आंसू नहीं बहे मेरे
मेरी आंखें बहीं हैं
खुद ही खुद को खो चुका हूं
क्या करूंगा अब खुदका
जिसमें बस वो ही बस रही है
घर मेरा एकदम खाली पड़ा है
जबसे वो छोड़कर गई है
उसने इतना सूना किया है मुझको
जैसे हरे पेड़ों को छू कर पतझड़ गई है।।
© Aryman Dwivedi
#WritcoQuote #writco
#yourquote #poetrycommunity
#Love&love #inspirational
#relatable #letter
एक उसने ही खराब मेरी जवानी की है
पलकों से आंसू नहीं बहे मेरे
मेरी आंखें बहीं हैं
खुद ही खुद को खो चुका हूं
क्या करूंगा अब खुदका
जिसमें बस वो ही बस रही है
घर मेरा एकदम खाली पड़ा है
जबसे वो छोड़कर गई है
उसने इतना सूना किया है मुझको
जैसे हरे पेड़ों को छू कर पतझड़ गई है।।
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