...

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कोई मर्म लगता है
बेवजह ही ये अश्क है
बेवजह ही मुस्कुराहट
होता वो साया है
लगती है उसकी आहट
युही अब कली खिलती है
बेमौसम ही बारिश बरसती है
खामोश...