...

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सवाल...
सवाल था मेरे सफर का,
फिर सवाल मेरे हमसफर का कहां से उठ खड़ा हुआ।
तलाश थी हमारे गुनाहों की,
फिर सवाल हमारी कसर का कहां से उठ खड़ा हुआ।।
फरमाया गौर नहीं किसी ने हमारे बहते अश्क पर,
फिर सवाल निगाहों के कसूर का कहां से उठ खड़ा हुआ।।
एहसास नहीं किसी को हमारे दर्द ए तन्हाई का,
फिर सवाल हमारे फितूर का कहां से उठ खड़ा हुआ।।
हर कोई आमदा मुझे बेआबरू करने पर,
फिर सवाल मेरे गुरूर का कहां से उठ खड़ा हुआ।।
कहने को मसले तो बहुत हैं मगर अल्फाज़ कम,
फिर सवाल मेरे घणे सबर का कहां से उठ खड़ा हुआ।।
वैसे खयालात तो मेरे बहुत ऊंचे हैं,
फिर सवाल मेरे खामोश मुखर पर कहां से उठ खड़ा हुआ।।।।
written by (संतोष वर्मा)
आजमगढ़ वाले..खुद की जुबानी..