...

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तुम्हें चाहने की ख़ता
इस नफ़रत-ए-जहां में तुम्हें चाहने की ख़ता हो गए
क्या ख़बर था मुझको यारा ख़ुद ही बेपता हो गए

बेसबर जिंदगी ने तो मुझें सबर की राह दिखा गए
यहाँ जीना तो दूर था मगर ये दिल तेरा बता हो गए

उस शब-ए-महताब में वो चाँदनी सी सजी थी...