...

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उल्फत ऐ शहर में तुम
उल्फत ऐ शहर में तुम
यु न धूम मचाया करो
दिल देकर दिल को
दिल ही दिल न तड़पाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

सीने में सुलगा कर आग
बेदर्दी दल को छलका या न करो
चलती हो तो खुल कर चलो
नकाब में चेहरा न छुपाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

रखों अपनी बात खुलकर
कभी यारी में कह दिया करो
दिलरुबा चंद्रमुखी
दिल देकर दिल को न दुखाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

हाय की बादल को
बेखब्र इंसान पर गिराया न करो
जानेमन जाने जा
चेहरे पर नाकाप चढ़ा कर न आया जाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

आंख देखने के लिए तरस जाती है तुम्हें
तुम काम छोड़कर कभी इधर आया करो
भीगी पलकों को लहजे में न छुपा कर
गोरी हद से ज्यादा शर्माया करो
उल्फत ऐ,,,,,

चांद सी प्यारी मुखड़ा तेरी
तुम बादल(चेहरा ढ़कना) में न छुप जाया करो
केशुएं तेरी लंबी लंबी
कभी इसे लहराया करो
उल्फत ऐ,,,,,

महल घर दीवार के कान होते हैं
ठीक से दिलदारी निभाया करो
किसी की नजर न लगे मेरी मुहब्बत पर
काली काली आंखों में तुम काला काला सुरमा लगाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

शाम पुरवाई हवा हर तरफ चल रही है
बचकर थोड़ी इधर-उधर आया जाया करो
कभी अपनी खबर बेखौफ होकर
मैसेज के माध्यम से बताया करो
उल्फत ऐ,,,,,

प्यार से सूरत अपनी
प्यारी, यारी में दिखाया करो
रास रसी रासलीला है
इस रास में उतरकर कभी डुबकी लगाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

जमी तुम्हें पुकार रही है
जमी दिल जमी से लगाया करो
जिंदगी फुल सी सज कर कदम चूमेंगी
महफिल ए इश्क में उतर जाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

राग मीठी प्यारी सुनेगी तेरी दुनिया
जीवन धरा को अमृत पिलाया करो
बात हर रोज करते रहती हो प्यार की
प्यार से प्यार को कभी गले लगाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

तेरी गोद में सिमट कर सो जाएंगे
तुम प्यारी प्यार से बुलाया करो
जीवन पुष्प अमृत खिल जाएगी
बेलियां ए चमेली सज धज कर आया करो
उल्फत ऐ,,,,,

जमीर मर चुकी है दुनिया वालों की
इससे भी अपने आप को बचाया करो
अंधेरी काल कोठरी में तड़प तड़प कर मरे हैं कितने
इनसे भी बचकर तिरछी नजर अपनी पंख फड़फड़ाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

बेसुमार इस रंग भरी दुनिया को
रंगीन बनाया करो
वीदियो ए गुलशन को
और जरा महाकाय करो
उल्फत ऐ,,,,,

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण देख लिए
और न दिखाया करो
सूरत ए नाज देखने आया करते हैं तेरी पास
तुम छिपकर इधर-उधर न जाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

बिजली रानी घटा घनघोर बद्री बादल बनकर
आसमान की तरह मेरी आंखों पर छाया करो
प्यारे प्यारी शब्दों की माला
दिल को अमृत सा पिलाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

द्रवित विचलित मन की दुविधा को
सिंचित शुद्ध विचार से सजाया जाया करो
फिर वही बात कहेंगे हम
प्यारे मुखड़े को नकाब में न छुपाया करो
उल्फत ऐ,,,,,

संदीप कुमार अररिया बिहार
© Sandeep Kumar