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अकेले
अकेले
बस अकेले चलना चाहती हूँ
जब रास्ते पर अकेले
चलना शुरू किया था
तो बहुत नफरत थी खुद में,
और डर और बेचैनी था
पर अब जब थोड़ी दूर आ गई हूँ
तो अब ना कोई अच्छा लगता है
न कोई बुरा लगता है
अब ना तो किसी को समझाना
या मानना अच्छा लगता है
बस थोड़ा शुकून से जीना चाहती है
और जो दिल दुखाते थे
उनसे दूर रहना चाहती हूँ
Kanchan Thakur
बस अकेले चलना चाहती हूँ
जब रास्ते पर अकेले
चलना शुरू किया था
तो बहुत नफरत थी खुद में,
और डर और बेचैनी था
पर अब जब थोड़ी दूर आ गई हूँ
तो अब ना कोई अच्छा लगता है
न कोई बुरा लगता है
अब ना तो किसी को समझाना
या मानना अच्छा लगता है
बस थोड़ा शुकून से जीना चाहती है
और जो दिल दुखाते थे
उनसे दूर रहना चाहती हूँ
Kanchan Thakur
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