...

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एक दूसरे से...
हम अनजान थे एक दूसरे से
फिर यूं ही राह में
कभी कहीं अनजाने में
एक दूसरे से टकरा गए

पागल समझ कर एक दूसरे से
दूरियां हम बना गए
न जाने कब समझदार
एक दूसरे को नजर आ गए

एक दूसरे की मदद करते करते
अनजाने में ही हम दोस्त बन गए
न जाने कब हम अपने
दोस्त से प्यार कर गए

यह जानकर भी कि
हम ना होंगे एक कभी
फिर भी ना जाने क्यों
यह दिल है कि मानता नहीं

बिछड़ कर एक दूसरे से
एक दूसरे की याद में रो गए
याद में तेरी लिखते लिखते
यह पन्ने भी गीले हो गए

© R.G. Bohra