Dil ki awaaz
तन्हा होती हूँ जब अक्सर
खुद से ही बातें किया करती हूँ
इस अँधेरी सी रात में
रौशनी ढूंढा करती हूँ
थोड़ा मुस्कुराती थोड़ा गुनगुनाती
खुद से ही वाकिफ हुआ करती हूँ
उस अँधेरी सी रात में
फिर खुदके ही एक नए चेहरे से मिला करती हूँ
परेशान होती जब भी
फिर उस खुदा को याद किया करती हूँ
माँ के बाद इस धरती पर
फिर आसमां से मिला करती हूँ
© Harshita Aggarwal
खुद से ही बातें किया करती हूँ
इस अँधेरी सी रात में
रौशनी ढूंढा करती हूँ
थोड़ा मुस्कुराती थोड़ा गुनगुनाती
खुद से ही वाकिफ हुआ करती हूँ
उस अँधेरी सी रात में
फिर खुदके ही एक नए चेहरे से मिला करती हूँ
परेशान होती जब भी
फिर उस खुदा को याद किया करती हूँ
माँ के बाद इस धरती पर
फिर आसमां से मिला करती हूँ
© Harshita Aggarwal