मजबुर औरत
RAAJ PREEET
छुटा सजनवा का सहारा लागे है
और सखी हमे तो कोई और जान से प्यारा लागे है
भीतर चारदीवारी के और घूंघट की आड़ मे
नरक यह जीवन हमारा लागे है
बंदिशो मे अब घुटन महसुस होती है
PREEET की तरह दिल भी हमे आवारा लागै है
समय , समय पर मिलता नही पतिदेव को अब
गैरो के लिए वक्त उनको बहुत सारा लागे है
बाजारो मे कीमत चुका आते है हुश्न की बो
हमारा जिस्म तो अब उनको खारा लागे है
कितने अरमान दिल मे दफना के बैठे है हम
दिल भी अब शमशान सा नजारा लागै है
चलो PREEET से शायरी लिखवाते है हम भी
वो भी हमारी तरह टुटा कोई सितारा लागे है
कच्ची उम्र मे विवाह किये अब इस उम्र मे प्यार को तरस रहे
आंखो से आंसू सुख गये दिल मे है बरस रहे
विरह की पीडा सही न जाये
बाते दिल की किसी से कही न जाये
PREEET जो बातें किसी से कही न जाये
वो बातें कमबख्त कहीं न जाये
न घर के न घाट की औरत
न मायका न ससुराल नसीब मे
सब के लिए बन गई पराई
कौन है बतायो ऐसी औरत के करीब मे
रस्म रिवाज शादी विवाह
नर्क सा जीवन गुजारा लागे है
इसलिए तो सखी
अब गैर हमे प्यारा लागे है
PREEET की शायरी मे सच्चाई
दुनिया PREEET को रास न आई
जीवन मे अकेले जीना
किसकी बहना कौन है भाई
अपनो की बदौलत है सब
जो जिन्दगी मे है आग लगाई
खाली जिस्म मे भरी है सांसे
हम तो रहे जिंदगी भर प्यासे
गैरों ने देखे तमाशे
इसका कुछ है जाना हमने
सबको अपना माना हमने
पढकर PREEET की बातों को
अपनो गैरो को पहचाना हमने
बातें सब बिन बतायें लिखी है
तेजाब से भी यह तीखी है
इस जहां मे PREEET प्यार नही है
औरत का कोई संसार नही है
ताने सुनने पडते है हजार
पति भी नही करते प्यार
अपनी इच्छायें दबाकर सब
सब से अब किनारा लागे है
छुटा सजनवा का सहारा लागे है
हमे तो PREEET जान से प्यारा लागे है
हर लफ्ज दिल से गुजारा लागे है
हर शायर उनका न्यारा लागे है
© आवारा पागल दीवाना
छुटा सजनवा का सहारा लागे है
और सखी हमे तो कोई और जान से प्यारा लागे है
भीतर चारदीवारी के और घूंघट की आड़ मे
नरक यह जीवन हमारा लागे है
बंदिशो मे अब घुटन महसुस होती है
PREEET की तरह दिल भी हमे आवारा लागै है
समय , समय पर मिलता नही पतिदेव को अब
गैरो के लिए वक्त उनको बहुत सारा लागे है
बाजारो मे कीमत चुका आते है हुश्न की बो
हमारा जिस्म तो अब उनको खारा लागे है
कितने अरमान दिल मे दफना के बैठे है हम
दिल भी अब शमशान सा नजारा लागै है
चलो PREEET से शायरी लिखवाते है हम भी
वो भी हमारी तरह टुटा कोई सितारा लागे है
कच्ची उम्र मे विवाह किये अब इस उम्र मे प्यार को तरस रहे
आंखो से आंसू सुख गये दिल मे है बरस रहे
विरह की पीडा सही न जाये
बाते दिल की किसी से कही न जाये
PREEET जो बातें किसी से कही न जाये
वो बातें कमबख्त कहीं न जाये
न घर के न घाट की औरत
न मायका न ससुराल नसीब मे
सब के लिए बन गई पराई
कौन है बतायो ऐसी औरत के करीब मे
रस्म रिवाज शादी विवाह
नर्क सा जीवन गुजारा लागे है
इसलिए तो सखी
अब गैर हमे प्यारा लागे है
PREEET की शायरी मे सच्चाई
दुनिया PREEET को रास न आई
जीवन मे अकेले जीना
किसकी बहना कौन है भाई
अपनो की बदौलत है सब
जो जिन्दगी मे है आग लगाई
खाली जिस्म मे भरी है सांसे
हम तो रहे जिंदगी भर प्यासे
गैरों ने देखे तमाशे
इसका कुछ है जाना हमने
सबको अपना माना हमने
पढकर PREEET की बातों को
अपनो गैरो को पहचाना हमने
बातें सब बिन बतायें लिखी है
तेजाब से भी यह तीखी है
इस जहां मे PREEET प्यार नही है
औरत का कोई संसार नही है
ताने सुनने पडते है हजार
पति भी नही करते प्यार
अपनी इच्छायें दबाकर सब
सब से अब किनारा लागे है
छुटा सजनवा का सहारा लागे है
हमे तो PREEET जान से प्यारा लागे है
हर लफ्ज दिल से गुजारा लागे है
हर शायर उनका न्यारा लागे है
© आवारा पागल दीवाना