आस का दीपक जलाकर
हमारे कोमल से मन में आस का दीपक जला तुमने हमें दगा दिया।
प्यार ,अपनापन दिखाके, फिर तुमने आस का दीपक बुझा दिया।
नहीं था बस में तुम्हारे प्यार निभाना,तो क्यों प्यार का इज़हार किया।
क्योंकि किए वादे , जब दिल ने तुम्हारे मुझे नहीं था स्वीकार किया।
कुछ दिन दिल लगाके दिल्लगी करना क्या यही...
प्यार ,अपनापन दिखाके, फिर तुमने आस का दीपक बुझा दिया।
नहीं था बस में तुम्हारे प्यार निभाना,तो क्यों प्यार का इज़हार किया।
क्योंकि किए वादे , जब दिल ने तुम्हारे मुझे नहीं था स्वीकार किया।
कुछ दिन दिल लगाके दिल्लगी करना क्या यही...