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"वर्षा की प्रथम बूँदें"
ASHOK HARENDRA
into.the.imagination
Copyright © 2024
§§

• वर्षा की प्रथम बूँदें •

"घुमड़-घुमड़कर उठती देख, जब घनघोर घटाएं,
झूमते मयूर का वन में, सुंदर पंख फैलाना,

शीतल मधुर बयार का, पूरब से यूँ बह-बहकर,
बरखा के आगमन की, धीरे से दस्तक दे जाना,

वर्षा की प्रथम बूँदों का, तपती धरा को छू-छूकर,
सौंधी-सी खुशबू से फिर, पुरवायी को महकाना,

वर्षा जल का सूक्ष्म रुप में, दूर समुंद्र से उठ-उठकर,
प्यासी धरा की एक पुकार पे, आकर यूँ बरस जाना,

जलते-झुलसते जीवों को, और तरसते तरुओं को,
शीतल-मधुर फुहार से, नव-जीवन फिर दे जाना,

जले चिन्हों के मिटने पर, पाती धरा आराम तपन से,
देती जीवन प्रकृति को, फल-फूलों का खिल जाना,

जल के ताल भर लाते, जब काले-काले मेघ निराले,
बरसते मेघ जल से फिर, हृदय का तृप्त हो जाना,

जल वर्षा है, जलधि जल है, और जल ही जीवन है,
जल संरक्षण की महत्ता को, बस समझ जाना!"

§§
(Picture taken from Pinterest)

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