...

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दुबारा वही गलती ...
दुबारा ! फिर से ,
हम वही गलती किये जा रहे थे ।
बेवज़ह ! बिना बात के ,
हम उसकी कदमो में गिरे जा रहे थे।
बिना किसी गुनाह के ,
सारा इल्जाम अपने सर लिए जा रहे थे।
वो बोलता जा रहा था ,
हम अपमान के घुट पिये जा रहे थे ।
सिर्फ अपने रिश्ते की बचाने के लिए ,
हम एक नरक सी जिन्दगी जिए जा रहे थे ।
आख़िर हद हो ही जाती है किसी चीज की
खुद से ही तोड़ दिया हमने वी रिश्ता
अब अपने आप को
एक नई उम्मीद दीए जा रहे है ।
© श्रेया

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