पहली बार तुम्हे देखा है
कभी देखा है तुम्हे गुस्से में जलते हुए
कभी टूटकर बिखरते हुए तुम्हे देखा है
कभी देखा है बादल सा गरजते हुए
तो कभी सावन सा बरसते तुम्हे देखा है
कभी देखा है मोहब्बत से सराबोर...
तो कभी नफरत का सैलाब लिए तुम्हे देखा है
हमने तुम्हे हर रंग, हर रूप में देखा है
मौसम की हर छाँव, हर धूप में तुम्हे देखा है
फिर भी कई बार बड़ी अजनबी सी लगती हो
यूँ लगता है की पहली बार तुम्हे देखा है