श्री आदिदेव
पशु ,मनुष्य, देव , दानव ,जो भी तेरा भक्त है
बदल दे वो समय की चाल,इतना तो ससक्त है
धरूँ तुम्हारे ध्यान को,ध्यान के तुम देव हो।
कहूं कैसे अकेला हूँ मैं, जब साथ तुम सदैव हो।
लिया गलल गले में,और रखा चंद्र माथ में।
सर्प का है आभूषण और , है त्रिशूल हाथ में।
आदि देव हो आप, उपस्तिथ आदि काल से।
काल भी नत मस्तक होता,श्री महाकाल से।
सृष्टि का विनाश...
बदल दे वो समय की चाल,इतना तो ससक्त है
धरूँ तुम्हारे ध्यान को,ध्यान के तुम देव हो।
कहूं कैसे अकेला हूँ मैं, जब साथ तुम सदैव हो।
लिया गलल गले में,और रखा चंद्र माथ में।
सर्प का है आभूषण और , है त्रिशूल हाथ में।
आदि देव हो आप, उपस्तिथ आदि काल से।
काल भी नत मस्तक होता,श्री महाकाल से।
सृष्टि का विनाश...