पाकिजा़ इश्क
करीब आ इक गज़ल कहनी है
तिरे हुस्न की तारिफ़ करनी है....
युँ तो है चेहरे हसीं बहुत मगर
नही कोई भी तुम्हारा सानी है....
तुम मिले हो...
तिरे हुस्न की तारिफ़ करनी है....
युँ तो है चेहरे हसीं बहुत मगर
नही कोई भी तुम्हारा सानी है....
तुम मिले हो...