ज़माने में मुल्ज़िम
ज़माने में मुल्ज़िम, मैं 'मद' मानव दास हो गया,
कोई मातमभरा माहौल, अब आसपास हो गया,
ज़माने में मुल्ज़िम, मैं 'मद' मानव दास हो गया।
बेगुनाही के सुबूत, किस-किस को दिखाऊंगा,
ज़ख़्म कब कितने मिले, ये किसको बताऊंगा,
चटखारे लेते हैं लोग, यूंही कौन यहां सुनता है,
सबको फूल हैं प्यारे, कांटों को कौन चुनता है,
स्याह काले अंधेरों को, चेहरा मेरा रास हो गया,
ज़माने में मुल्ज़िम, मैं 'मद' मानव दास हो गया।
संभाले हुआ था जिसे, वो इज़्ज़त बदनाम हो गई,
कुछ भी बाक़ी न रहा, बदनामी सरेआम हो गई,
क़ाबिलियत भी न बची, मंज़िल...
कोई मातमभरा माहौल, अब आसपास हो गया,
ज़माने में मुल्ज़िम, मैं 'मद' मानव दास हो गया।
बेगुनाही के सुबूत, किस-किस को दिखाऊंगा,
ज़ख़्म कब कितने मिले, ये किसको बताऊंगा,
चटखारे लेते हैं लोग, यूंही कौन यहां सुनता है,
सबको फूल हैं प्यारे, कांटों को कौन चुनता है,
स्याह काले अंधेरों को, चेहरा मेरा रास हो गया,
ज़माने में मुल्ज़िम, मैं 'मद' मानव दास हो गया।
संभाले हुआ था जिसे, वो इज़्ज़त बदनाम हो गई,
कुछ भी बाक़ी न रहा, बदनामी सरेआम हो गई,
क़ाबिलियत भी न बची, मंज़िल...