...

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हर सुबह जिंदगी है नई
न तुम किनारों का हाल देखो,
न तुम समंदर का उछाल देखो,
हर सुबह ज़िन्दगी है नई,
तुम केवल अपनी चाल देखो !
पवनों से भी तीव्र, ढृढ़संकल्पित पतवार देखो,
दिशाओं को साध, जीवन-यात्रा के सवाल देखो,
तट-तट पर तुम यूं रुक कर न बैठो,चलते चलो आगे बढ़ो,
हर सुबह ज़िन्दगी है नई, तुम केवल अपनी चाल देखो !!

©Mridula Rajpurohit✍️
🗓️ 23 October, 2021
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