अगर मैं सैनिक हूँ......
मैं लहूलुहान होना नहीं चाहता
देश को भी खोना नहीं चाहता
क्या कोई है पवित्र इतना यहाँ
वरना मैं भी साफ होना नहीं चाहता।
हर तरफ मंजर है खौफ का
दर्द का तो कभी मौत का
मैं तन्हाई के हाल में
अब और जीना नहीं चाहता।
ईमान की बात करना नहीं चाहता
फर्ज़ को...
देश को भी खोना नहीं चाहता
क्या कोई है पवित्र इतना यहाँ
वरना मैं भी साफ होना नहीं चाहता।
हर तरफ मंजर है खौफ का
दर्द का तो कभी मौत का
मैं तन्हाई के हाल में
अब और जीना नहीं चाहता।
ईमान की बात करना नहीं चाहता
फर्ज़ को...