...

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पैमाने ही अंत?
उन पैमानों पर नाप लिया गया एक जिंदगी को
ना किसी ने कहा,उसे भी तो एक मौका दो
सोच लिया बस,न कुछ यह कर पाएगा
जिंदगी की भीड़ में बस दब के रह जाएगा..

कोई सोच न सका उस जिंदगी का महत्व
बस नीचा दिखाना बन गया लोगों का कर्तव्य
कभी देख के भी अनदेखा कर दिया
कभी उसके वर्तमान...