भावशून्य राजनीति में चीखती है जनता
कोरोना के पलटवार में इंसान खड़ा है,
दहशत में पूरा देश पड़ा हैl
कहीं अपनों को खोने का गम,
तो कहीं मातम का माहौल बना हैll
अपनों के सांसों के खातिर,
सेकेंड, घंटा बन आया है।
सांसे भी अब सेकंड, मिनट,
और घंटों पे बिक रहा है।।
अपनों के लाशों का मेला है ,
सिस्टम का सब खेला है।
हॉस्पिटल के अंदर- बाहर,
मौत ने डाला डेरा है।।
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